तमाम प्रयासों के बाबजूद पूरी नहीं हो पा रही शिक्षक साथियों की तलाश, जानिए क्यों? पूरी प्रक्रिया के धड़ाम होने से विभाग पर लग रहे हैं सवालिया निशान!
झांसी : परिषदीय के स्कूलों के क्रियाकलापों पर निगरानी करने आदि के लिए शिक्षक साथियों को नियुक्त करना था। लेकिन विभाग के तमाम कोशिशों के बावजूद भी शिक्षा विभाग को शिक्षक साथी नहीं मिल पा रहे। इस पूरी प्रक्रिया के धड़ाम होने से विभाग पर लग रहे हैं सवालिया निशान?
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में शैक्षिक सहयोगात्मक पर्यवेक्षण प्रदान करने के लिए शिक्षक साथी नियुक्त किए जाने थे। जिले में लगभग चार हजार से अधिक सेवानिवृत्त शिक्षक पेंशन ले रहे हैं। इन सेवानिवृत्त शिक्षकों को शिक्षक साथी के रूप में परिषदीय स्कूलों में अपनी सेवाएं देना हैं। लेकिन 30 नवंबर तक सिर्फ 15 आवेदन ही शिक्षक साथी के पद के लिए विभाग के पास पहुंचे हैं।
70 वर्ष की आयु के सेवानिवृत्त शिक्षकों का तीन चरणों की परीक्षा के आधार पर चयन किया जाना है। हिंदी, गणित, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन और अंग्रेजी विषय के लिए चयनित शिक्षक साथियों को 2500 रुपये मानदेय भी प्रतिमाह दिया जाएगा। इन शिक्षक साथियों का उत्कृष्टता के आधार पर नवीनीकरण एक साल में किया भी जाएगा।
जिला समन्वयक, प्रशिक्षण आरके समेले ने बताया कि शिक्षक साथी के लिए आए आवेदनों का जल्द ही परीक्षा करवाकर चयन किया जाएगा।
आवेदन कम आने के कारण
शिक्षक साथी को कम से कम 30 स्कूलों का पर्यवेक्षण करना है। जिसके लिए उनको प्रतिमाह 2500 रुपये मानदेय भी दिया जाएगा। कम मानदेय और अधिक जिम्मेदारी के कारण शिक्षक इस काम के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। वहीं शिक्षक साथी के चयन की नियम और शर्त भी आवेदन में कमी का एक कारण बनी हुई है।
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