विनय पत्रिका के रचयिता कौन है?
विनय पत्रिका तुलसीदास द्वारा रचित ग्रन्थ है, जोकि ब्रज भाषा में लिखी गई है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनय पत्रिका को राम विनयावली से भी जाना जाता है। विनयपत्रिका में 21 रागों का प्रयोग किया गया है। जिसका प्रमुख रस शांतरस है। इस रस का स्थाई भाव निर्वेद होता है। विनय पत्रिका आध्यात्मिक जीवन को दिखती है। विनय पत्रिका में सम्मिलित कुल पदों की संख्या 279 है।
विनय पत्रिका किस काल की रचना है?
विनय पत्रिका 16 वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा लिखी गई एक कविता संग्रह है। तुलसीदास ने विनय पत्रिका को वृज भाषा में लिखा है। यह कविता संग्रह भक्ति काल में लिखी गई है।
विनय पत्रिका के पद
ऐसो को उदार जग माहीं, बिन सेवा जो द्रवै दीन पर
राम सरिस कोए नाहीं।
जो गति जोग बिराग जतन करि नहीं पवत मुनि ज्ञानी,
सो गति देत गीध सबरी के प्रभु ना बहुत जिए जानी,
जो संपति दस सीस अरप करि रावण सीव पे लिन्ही,
सो सम्पदा विभीषण के अति सकुच सहित हरि दिन्ही,
तुलसी दास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो,
तो भज राम काम सब पुरन करें किरपा निधि तेरो,
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मंगल-मूरति मारुत-नंदन। सकल-अमंगल-मूल-निकंदन ॥ १ ॥
पवनतनय संतन हितकारी। ह्रदय बिराजत अवध-बिहारी ॥ २ ॥
मातु-पिता,गुरु,गनपति,सारद। सिवा समेत संभु,सुक,नारद ॥ ३ ॥
चरन बंदि बिनवौं सब काहू। देहु रामपद-नेह-निबाहू ॥ ४ ॥
बंदौं राम-लखन-बैदेही। जे तुलसीके परम सनेही ॥ ५ ॥
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