वाक्य की परिभाषा, अंग, भेद उदाहरण सहित।
वाक्य विभाग - Vakya ki Paribhasha
वाक्य की परिभाषा - Vakya ki Paribhasha
वाक्य ऐसे शब्द समूह को कहते हैं जिसके सुनने से कहने वाले का पूर्ण अभिप्राय समझ में आ जाए ।
वाक्य के अंग
वाक्य के दो प्रमुख अंग होते हैं -
१. उद्देश्य
जिसके विषय में कुछ कहा जाये, उसे उद्देश्य कहते हैं; जैसे - बालक सोता है । इस वाक्य में 'बालक' उद्देश्य है । उद्देश्य के भी दो भाग होते हैं -
(१) कर्ता, (२) कर्तृविशेषण ।
२. विधेय
उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाये, उसे विधेय कहते है; जैसे - बालक सोता है । इस वाक्य में 'सोता है' विधेय है । विधेय के पाँच भाग होते हैं -
(१) क्रिया, (२) कर्म, (३) कर्म का विस्तार, (४) पूरक, (५) क्रिया का विस्तार । सरल वाक्य विग्रह के कुछ उदाहरण देखिए -
(१) काले घोड़े ने सूखी घास खाई ।
(२) हमें सदा बड़ों की आज्ञा माननी चाहिए ।
(३) भारत के गौरव महाराणा प्रताप बड़े वीर थे ।
हिंदी व्याकरण - वर्ण विभाग, सन्धि प्रकरण, परिभाषा, प्रकार, उदहारणवाक्य के भेद
अर्थ के अनुसार वाक्य आठ प्रकार के होते हैं -
१. प्रश्नवाचक वाक्य - जैसे - तुम्हारा क्या नाम है ?
२. विधिवाचक वाक्य - जैसे - बालक हँसता है ।
३. आज्ञावाचक वाक्य - जैसे - तुम यहीं पर खड़े रहो ।
४. इच्छाबोधक वाक्य - जैसे - भगवान आपका भला करे ।
५. सन्देहसूचक वाक्य - जैसे - शायद मैं पास हो जाऊँ ।
६. संकेतवाचक वाक्य - जैसे - वह साँप आ रहा है ।
७. विस्मयादिबोधक वाक्य - जैसे - अरे ! आप यहाँ पर हैं ।
८. निषेधवाचक वाक्य - जैसे - उसने भोजन नहीं किया ।
समास प्रकरण की परिभाषा व प्रकार उदाहरण सहित
समास की परिभाषा
कई पदों का मिलकर एक हो जाना समास कहलाता है; जैसे'राधाकृष्ण' शब्द 'राधा' और 'कृष्ण' इन दो पदों को प्रकट करता है । अतः राधाकृष्ण एक सामासिक पद हुआ । समास के छः भेद होते हैं -
१. तत्पुरुष समास
इस समास में समस्त पद का दूसरा खण्ड प्रधान होता है । इस समास को तोड़ने में कर्ता और सम्बोधन को छोड़कर अन्य किसी कारक का चिन्ह आता है, जैसे - माखनचोर = माखन को चुराने वाला । राजमन्त्री = राजा का मन्त्री । ऋणमुक्त = ऋण से मुक्त । धर्मभ्रष्ट = धर्म से भ्रष्ट । वनवास = वन में वास । देशसेवक = देश का सेवक । हवनसामग्री = हवन के लिए सामग्री ।
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२. कर्मधारय समास
इसमें एक शब्द विशेषण होता है तथा दूसरा विशेष्य (संज्ञा) होता है, जैसे - 'नीलकमल' । यहाँ 'नील' शब्द विशेषण है क्योंकि यह कमल की विशेषता बता रहा है और 'कमल' शब्द संज्ञा है । अतः 'नीलकमल' में कर्मधारय समास हुआ। इसी प्रकार परमात्मा, पुरुषोत्तम, नीलगाय, महात्मा, सुपुत्र, नंराधन आदि शब्दों में भी कर्मधारय समास है ।
३. द्विगु समास
इसका प्रथम पद संख्या वाचक होता है और पूरे पद से किसी समुदाय का बोध होता है; जैसे - त्रिभुवन = तीन भवनों का समूह । इसी प्रकार पञ्चरत्न, षटकोण, तिकोना, त्रिफला, पञ्चपात्र, अठन्नी, चतुर्वणा शब्दों में भी द्विगु समास ही है ।
४. बहुव्रीहि समास
इस समास का कोई भी खण्ड अपना अर्थ नहीं देता अपितु दोनों मिलाकर किसी तीसरे विशेष अर्थ की ओर संकेत करते हैं; जैसे - दशानन = दस हैं मुख जिसके वह अर्थात 'रावण' । चक्रपाणि = चक्र है हाथ में जिसके वह अर्थात 'विष्णु। इसी प्रकार लम्बोदर, चतुर्भुज, चन्द्रशेखर शब्दों में भी बहुव्रीहि समास है ।
५. द्वन्द्व समास
जिसके दोनों खण्ड प्रधान होते हैं और संज्ञा गोते हैं । इसे तोड़ने पर इसके बीच में 'और' शब्द आता है; जैसे - राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण, मातापिता = माता और पिता । इसी प्रकार जीव-जन्तु, रात-दिन, बहन-भाई, दुबला-पतला, ऋषि-मुनि आदि शब्दों में भी द्वन्द्व समास ही है । .
६. अव्ययीभाव समास
यह अव्यय और संज्ञा के योग से बनता है और इसका क्रिया विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है । इस समस्त पद का रूप किसी भी लिंग, वचन
आदि के कारण कभी नहीं बदलता; जैसे - प्रतिदिन, यथाशक्ति, हरघड़ी, प्रत्येक, भरपेट, बेधड़क आदि ।
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अलंकार की परिभाषा व प्रकार उदाहरण सहित
अलंकार की परिभाषा
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं । जिस प्रकार आभूषण मानव शरीर की शोभा बढ़ा देते हैं और वे मानव शरीर के अलंकार कहलाते हैं; उसी प्रकार जो शब्द या वर्ण आदि काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, वे काव्य के अलंकार कहलाते हैं -
१. यमक अलंकार
जहाँ कोई शब्द दो या दो से अधिक बार प्रयोग में आए किन्तु प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है, उदाहरणार्थ -
कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय ।
वा पाये बौराय जग वा खाए बौराय ।।
यहाँ 'कनक' शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है किन्तु प्रत्येक बार उसका अर्थ अलग है । पहले 'कनक' शब्द का अर्थ 'सोना' तथा दूसरे 'कनक' का अर्थ 'धतूरा' है, इसीलिए यहाँ यमक अलंकार हुआ ।
२. श्लेष अलंकार
जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयोग में आया हो किन्तु उसके अर्थ एक से अधिक हों तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है, जैसे - 'मंगन को देख 'पट' देत बार-बार है ।" इस वाक्य में 'पट' शब्द एक ही बार प्रयोग में आया है किन्तु उसके दो अर्थ हैं - १. वस्त्र, २. किवाड़, अतः यहाँ श्लेष अलंकार है । इसी प्रकार नीचे के उदाहरण को देखिए -
"गुन ते लेत रहीम जन, सलिल कूप ते काढ़ि ।
कूपहुँ ते कहुँ होत है, मन काहू को बाढ़ि ।।"
यहाँ 'गुन' शब्द के दो अर्थ हैं - १. गुण, २. रस्सी ।
यमक और श्लेष में अन्तर
यमक अलंकार में कोई एक शब्द एक से अधिक बार प्रयोग में आता है और प्रत्येक बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं जबकि श्लेष अलंकार में कोई शब्द एक ही बार प्रयोग में आता है किन्तु उसके अर्थ अनेक होते हैं ।
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३. उपमा अलंकार
जब किसी वस्तु के रूप, गुण, क्रिया आदि की समता किसी प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है तो वहाँ उपमा अलंकार होता है, उदाहरणार्थ - 'पीपर पात सरिस मन डोला ।' इस वाक्य में मन के डोलने (चंचल होने) की समता बहुत हिलने वाले पीपल के पत्ते से की गई है, अत: यहाँ उपमा अलंकार हुआ ।
[नोट - रूपक और उत्प्रेक्षा अलंकारों को समझने के लिए उपमेय और उपमान का ज्ञान होना आवश्यक है ।]
उपमेय
जिसकी समानता किसी प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है, उसे उपमेय कहते हैं; जैसे - 'मुख चन्द्रमा के समान सुन्दर है ।' इस वाक्य में 'मुख' उपमेय है ।
उपमान
जिससे उपमेय की तुलना की जाए, वह प्रसिद्ध वस्तु उपमान कहलाती है; जैसे कि ऊपर के उदाहरण में मुख की तुलना 'चन्द्रमा' से की गई है, अतः 'चन्द्रमा' उपमान है।
४. रूपक अलंकार
'रूपक' शब्द का अर्थ रूप धारण करना है । इस प्रकार रूपक में उपमेय में उपमान का आरोप किया जाता है; जैसे - 'चरण कमल बन्दौं हरि राई ।' यहाँ कवि ने चरणों में कमल का आरोप किया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार हुआ ।
५. उत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना का वर्णन किया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है । इसे प्रकट करने के लिए मानो या उसके पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जैसे -
"सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलौने गात ।
मनो नील मणि शैल पर, आतप परयो प्रभात।।"
यहाँ श्रीकृष्ण के सुन्दर शरीर में कवि ने नीली मणियों के पर्वत की सम्भावना का वर्णन किया है । अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार हुआ ।
महत्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर
वाक्य के अंग कौन कौन से है?
वाक्य के दो प्रमुख अंग होते हैं - उद्देश्य और विधेय
और अधिक जानने के लिए पूरी पोस्ट पढ़े।
वाक्य कितने प्रकार के होते है उदाहरण सहित समझाईये?
अर्थ के अनुसार वाक्य आठ प्रकार के होते हैं -
१. प्रश्नवाचक वाक्य - जैसे - तुम्हारा क्या नाम है ?
२. विधिवाचक वाक्य - जैसे - बालक हँसता है ।
३. आज्ञावाचक वाक्य - जैसे - तुम यहीं पर खड़े रहो ।
४. इच्छाबोधक वाक्य - जैसे - भगवान आपका भला करे ।
५. सन्देहसूचक वाक्य - जैसे - शायद मैं पास हो जाऊँ ।
६. संकेतवाचक वाक्य - जैसे - वह साँप आ रहा है ।
७. विस्मयादिबोधक वाक्य - जैसे - अरे ! आप यहाँ पर हैं ।
८. निषेधवाचक वाक्य - जैसे - उसने भोजन नहीं किया ।
और अधिक जानने के लिए पूरी पोस्ट पढ़े।
समास की परिभाषा व भेद कितने है ?
कई पदों का मिलकर एक हो जाना समास कहलाता है; जैसे'राधाकृष्ण' शब्द 'राधा' और 'कृष्ण' इन दो पदों को प्रकट करता है । अतः राधाकृष्ण एक सामासिक पद हुआ । समास के छः भेद होते हैं और अधिक जानने के लिए पूरी पोस्ट पढ़े।


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