भेड़िया और तीन बकरियाँ

भेड़िया और तीन बकरियाँ

एक समय की बात है, एक गाँव में 3 बकरियाँ अपनी माँ के साथ रहती थीं। उनकी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थी और उनकी देखभाल करती थी। एक दिन, उनकी माँ को कुछ काम से बाहर जाना पड़ा। उसने अपनी तीनों बेटियों को समझाया कि वे घर पर अकेली रहें और किसी अजनबी पर भरोसा न करें।

माँ के जाने के बाद, तीनों बकरियाँ घर में अकेली थीं। थोड़ी देर बाद, एक भेड़िया आया। उसने दरवाजा खटखटाया और कहा, "मैं तुम्हारी माँ हूँ, दरवाजा खोलो।"

बकरियों ने भेड़िये की आवाज पहचान ली और डर गईं। उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। भेड़िया गुस्से में पेड़ से टकराया और उसकी आवाज बदल गई। उसने फिर दरवाजा खटखटाया और कहा, "मैं तुम्हारी माँ हूँ, दरवाजा खोलो।"

इस बार बकरियों को लगा कि उनकी माँ वापस आ गई है। उन्होंने दरवाजा खोल दिया। भेड़िया अंदर आया और तीनों बकरियों को पकड़ लिया। उसने उन्हें एक बोरे में बंद कर दिया और उन्हें नदी में फेंक दिया।

बकरियों की माँ जब घर वापस आई, तो उसने देखा कि उसकी बेटियाँ गायब हैं। वह बहुत दुखी हुई और उसने अपनी बेटियों को ढूंढना शुरू कर दिया।

नदी के किनारे, उसे एक बोरा मिला। उसने बोरे को खोला तो उसमें उसकी तीनों बेटियाँ थीं। बकरियाँ अपनी माँ को देखकर बहुत खुश हुईं।

माँ ने भेड़िये को सबक सिखाने का फैसला किया। उसने एक बड़ा पत्थर लिया और उसे भेड़िये के घर में फेंक दिया। भेड़िया डर गया और भाग गया।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए और किसी अजनबी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। हमें अपनी रक्षा खुद करनी चाहिए।

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